DURVASA RISHI ASHRAM FARRUKHABAD
आज वट सावित्री और शनि जयंती का संगम: तीन बड़े शुभ संयोग
श्री सीता राम: 6 जून को वट सावित्री व्रत के साथ शनि जयंती भी मनाई जाएगी। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि ग्रह-नक्षत्रों के अद्भुत संयोग से तीन बड़े शुभ अवसर बन रहे हैं, जो व्रत रखने वाली महिलाओं और शनि भक्तों के लिए अत्यंत मंगलकारी होंगे। इस दिन किए गए तीर्थ, दान या पवित्र नदी के जल से स्नान करने से कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। इस पर्व पर जरुरतमंद लोगों को भोजन और जल दान करने से कभी न समाप्त होने वाला पुण्य मिलता है।
अमावस्या पर चार ग्रहों का शुभ संयोग
महाराज श्री के अनुसार, गुरुवार और अमावस्या के शुभ संयोग में गजकेसरी, बुधादित्य, लक्ष्मी और शश योग बन रहे हैं। ग्रहों का यह महासंयोग इस दिन को और भी शुभ बना रहा है। शुभ संयोग में किए गए स्नान-दान और पूजा का फल और बढ़ जाता है। स्नान-दान से पितरों को तृप्ति मिलती है। शनि का अपनी राशि कुंभ में होना भी बेहद शुभ रहेगा। ऐसे में शनि जयंती पर शनि के लिए किए गए स्नान-दान से अशुभ प्रभावों में कमी आएगी।
जरुरतमंदों की सहायता का महत्व
ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव का प्रकटोत्सव होता है। शनिदेव न्याय के देवता माने जाते हैं। शनि दोषों से राहत पाने के लिए यह दिन विशेष महत्व रखता है। शनि देव अच्छे कर्म करने वालों पर प्रसन्न रहते हैं। इनकी कृपा पाने के लिए एक सरल उपाय है कि बूढ़े, रोगी, दिव्यांग और असहाय लोगों की मदद करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
सुहागिनों का पर्व: वट सावित्री
वट सावित्री अमावस्या सुहागिनों के लिए एक विशेष दिन होता है। इसी दिन सावित्री ने यमदेव को प्रसन्न कर अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए महिलाएं इस दिन बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाकर उसके तने पर कच्चा धागा लपेटती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इसके बाद सौभाग्य और समृद्धि की कामना से पेड़ की परिक्रमा करती हैं।