DURVASA RISHI ASHRAM FARRUKHABAD
हालात को स्वीकार करें तो समाधान भी मिल जाएंगे
दुनिया में आज असुरक्षा की बीमारी सबसे बड़ी बनती जा रही है। असुरक्षा की भावना घरों में भी है, दफ्तर में भी है और सेवा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। असुरक्षा हम औरों को आगे बढ़ता हुआ नहीं देख पाते हैं। पर अध्यात्म हमें यह सिखाता है कि हम जितना औरों को आगे बढ़ाएंगे उतना ही खुद भी आगे बढ़ जाएंगे। |
श्री सीता राम: जीवन में यह बात हमेशा याद रखिए कि जब कोई किसी के बारे में बोलता है, तो वास्तव में वो उनके बारे में नहीं बल्कि अपने व्यक्तित्व के बारे में बता रहा होता है। तो हम उससे दूसरे को नहीं, लेकिन सुनाने वाले को जान जाते हैं। क्योंकि जो सुनाएगा वो अपने नजरिए से सुनाएगा। दूसरे के अंदर विशेषता न भी हो लेकिन देखने वाले के अंदर अगर वो नजर है, तो वो अच्छा-अच्छा ही देखेगा। दूसरे के अंदर अगर विशेषता हो लेकिन हमारे अंदर अच्छा देखने की नजर न हो तो हम कभी-कभी दूसरों के बारे में बहुत कड़वी बातें कह जाते हैं। जब भी किसी का परिचय सुनाएं तो एक चीज हमेशा याद रखें कि वो उनका नहीं बल्कि अपना व्यक्तित्व दर्शा रहे हैं।
युवा इस बात को भी समझें कि कोई कॉलेज सही मायनों में आपका व्यक्तित्व निर्माण नहीं कर सकता, वो सिर्फ आपको पढ़ा सकता है। व्यक्तित्व कैसा बनाना है, यह हमें ही तय करना है। वो सिर्फ हमें राह दिखा सकते हैं। युवाकाल हमारे जीवन का स्वर्णिम समय होता है। हमारी वाइब्रेशंस से ही लोगों के आधे दुःख दूर हो जाते हैं। हमें इन वर्षों में यह देखना है कि किसका हम पर क्या असर पड़ता है और मुझे कैसा बनना है। कुछ लोगों से हम मिलते हैं, तो हमें उनसे मिलकर मजा नहीं आता है। उस समय हम यही सोचते हैं कि काश इनसे नहीं मिलते तो अच्छा रहता। वहीं, इसके अलट कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनसे मिलने के लिए हम दिन भर इंतजार करते हैं क्योंकि वो प्यार से बात करते हैं।
युवाओं को समझना होगा कि जीवन में अभी चुनौतियां आना बाकी है। अभी तो वह उस दौर में भी नहीं गए हैं जहां इतना प्रेशर है, टारगेट है, कम समय है, घर भी संभालना है, काम भी करना है। अभी तो कोई प्रेशर नहीं उनके ऊपर जब कोई दबाव नहीं है तब गुस्सा आता है तो आप स्वयं को उस स्थिति में देखो, तब आपको कितना गुस्सा आएगा। समाधान पर विचार करें। परिस्थितियों को पहले स्वीकार करें, फिर उन पर अपनी प्रतिक्रिया दें। हालात को इतने प्यार से स्वीकार करें, जैसे कि आपने खुद वैसा ही चाहा था।
कल्पना करें कि हमारे जीवन में संयोग से कोई बड़ी बात आई है, हमें उसे चुनौती बनाते हुए पार करना है। उस चुनौती से पार पाना भी अपने आप में एक यात्रा है। उस यात्रा में कभी कुछ घंटे, कभी कुछ दिन, कभी कुछ साल लगते हैं। कभी-कभी वो चुनौती हमारे जीवन का हिस्सा बन जाती है। जीवन में कुछ परिस्थितियां ऐसी आती है जिसका आगे समाधान नहीं दिखता। लेकिन अधिकांश परिस्थितियां आज नहीं तो कल ठीक हो जाती हैं, हां संघर्ष का दौर लंबा चल सकता है हमारे जीवन में जो बात आई, कई बार हम उसे दुर्भाग्य कह देते हैं, कोई हादसा, कोई बड़ी बात। लेकन वह स्थाई नहीं होतीं। जिस क्षम आपने हालात को स्वीकार कर लिया, बदला भी शुरू हो जाता है।
जब भी कोई बात आती है तो हमारा मन प्रश्नों में चला जाता है। जब चित्त प्रश्नों से भर जाएगा तब मन की स्थिति प्रसन्न चित्त नहीं रहती है। जहां हमें उस समस्या का समाधान दिखने वाला है, वो हमें नहीं दिखेगा, क्योंकि हमारे मन में हलचल हो रही है। हर बात का पहले मन पर असर पड़ता है, फिर शरीर पर भी असर पड़ता है। आज बात एक होती है। अगर हमने उसका पूरी ताकत से सामना नहीं किया तो दूसरी समस्या हम खुद पैदा कर देते हैं। मन दर्द में चला गया, भय में चला गया, असुरक्षा में चला गया तो उस मन को डिप्रेशन हो जाता है। कई बार किसी के रिश्ते में उतार-चढ़ाव आता है उसका प्रभाव इतना बड़ा पड़ता है कि किसी को डिप्रेशन हो जाता है, किसी का बीपी बढ़ जाता है, किसी को हार्ट अटैक हो जाता है।
कई बार हम युवाओं में देखते हैं कि उन्होंने डिसाइड किया था कि उनके जीवन में क्या होगा। मतलब करिअर में वो कैसे चलेंगे, आगे क्या बनें। वो जो सोचा था कि जीवन की स्क्रिप्ट ऐसी चलेगी। जो चाहा था वो नहीं मिलता तो लोग अपने आपको भी कुछ कर लेते हैं या हताश हो जाते हैं। पर ध्यान रखिए, जीवन के घटनाक्रम आपस में जुड़े होते हैं। एक कदम कई सारी समस्याएं खड़ी कर देता है, इसलिए जीवन में अगर कोई बात आए तो पहले उसे स्वीकारें, फिर उस बात को फेस करें, उस बात से प्रभावित ना हो जाएं। स्वीकार्य की कमी बहुत सारी समस्याओं का कारण बन जाती है।
गुरुदेव के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम महाराज जी जो कार्य कर रहे हैं आश्रम के माध्यम से महाराज जी आज धर्म ध्वजi है युवाओं के लिए युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और सभी में ऊर्जा का नई शक्ति का अपने प्रवचनों द्वारा संचार कर रहे हैं सभी को सद मार्ग दिखा रहे हैं और सर्व कल्याण सनातन के लिए प्रयशरत हैं जय सीताराम राधे राधे 🙏🙏🚩🚩🚩
सीता राम
श्रद्धेय गुरुदेव के चरणों में सादर चरणस्पर्श प्रणाम।
आपने जनपद फर्रुखाबाद की खुशबू को समूचे देश में अपनी सत्य साधना के आधार पर फैलाया और राष्ट्र कल्याण का भाव आपके मन और मस्तिष्क में सदैव विद्यमान है जिसकी हम सब प्रशंसा करते हैं।
हम सब धन्य है आपको पाकर।
मां गंगे की सेवा निरंतर आपके द्वारा हो रही है और आपने सानिध्य में हम सब भी अपनी सनातन संस्कृति से,धर्म,अध्यात्म से जुड़े रहते हैं।
आपकी सदा जय जय कार हो गुरुदेव।
सीता राम